प्रस्तावना : आज के व्यस्त जीवन में हम लोग अपने व्रत त्यौहार को लगभग भुला गए हैं | यह लेख खास कर युवा में अपने व्रत त्यौहार के प्रति जागरूकता लाने के लिये है | इस आलेख को पढ़ने के बाद अपने त्यौहार , महापुरूषो के प्रति जानकारी प्राप्त करने का रुचि विकसित होगा | इस लेख का यही उद्देश है इस लेख में हम चैत्र नवरात्रि के विषय में बहुत कुछ जानेंगे | चैत्र नवरात्रि कँहा कँहा होता है इसका महत्व एवं बहुत कुछ |
Keywords : व्रत |त्यौहार कन्या पूजन |कन्या भोज | कलश स्थापित | माँ के रूप | चार नवरात्रि | गुप्त नवरात्रि |
Table of contents
1. चैत्र नवरात्रि कब मनाया जाता है
2.चैत्र नवरात्रि कँहा मनाया जाता है
3.चैत्र नवरात्रि का इतिहास
4.चैत्र नवरात्रि कई नाम
5.चैत्र नवरात्रि के पौराणिक कथा
6.चैत्र नवरात्रि का महत्व
चैत्र नवरात्रि कब मनाया जाता है?

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भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, चैत्र नवरात्रि का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है | यह चैत्र माह के शुक्ल पक्छ से प्रारंभ होकर रामनवी तक चलती है | भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, चैत्र नवरात्रि का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है |
इस वर्ष २०२४ में चैत्र नवरात्रि 0९ अप्रैल २०२४ से लगातार चैत्र नवरात्रि १७ अप्रैल २०२४ तक मनाया जायेगा | १८ अप्रैल २०२४ दशमी को विजयादशमी मनाई जायगी | हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत माह के शुक्ल पक्छ के प्रतिपदा दिनांक आठ अप्रैल के रात ग्यारह बजकर ५५ मिनट से शरु होकर दिनांक नौ अप्रैल के रात नौ बजकर ४३ मिनट पर समाप्त होगा | सनातन धर्म के अनुसार उदया तिथि मान्य होता है जिसके कारण उदया तिथि के अनुसार चैत नवरात्रि 0९ अप्रैल २०२४ को मनाया जायेगा|
कलश स्थापना का मुहूर्त ९ अप्रैल को सुबह ७ बज कर ०२ मिनट से १० बज कर १६ मिनट है | इसी दिन – ९ अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग का संयोग है जो सुबह ७ बज कर ३२ मिनट से शाम ५ बज कर ६ मिनट तक है |
९ अप्रैल को दोपहर ११ बजकर ३३ मिनट से १२ बज कर २४ मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है ,जो किसी शुभ कार्य का शुभारम्भ करने के उपयुक्त है | अगर आप कोई नया काम शुरु करने जा रहे है तो यह सही समय है |
विद्वानों के अनुसार इस वर्ष नवरात मंगलवार से शुरु हो रहा है ,जिसके कारन माँ दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी से है ,जो अशुभ माना जाता है | परन्तु माँ दयालु है ,९ अप्रैल को पुरे दिन पूजा करने के बाद छमा याचना करने से शुभ फल देंगी |
१७ अप्रैल २०२४ को रामनवमी मनाया जायेगा| रामनवमी पूजा का ९ अप्रैल को पूर्वाह्न ११ बजकर १७ मिनट से अपराह्न एक बजकर पैतीस मिनट तक होगा |
चैती छठ का महा पर्व
नवरात्रि के समय ही चार दिवसीय सूर्योपासना चैती छठ का महा पर्व १२ अप्रैल से प्रारंभ हो कर १५ अप्रैल के सुबह तक मनाया जायेगा | चैती छठ १२ अप्रैल से नहाय खाय से प्रारंभ होगा ,१३ अप्रैल को खरने पूजन ,१४ को संध्या अर्घ एवं १५ को सुबह के अर्घ के साथ समाप्त होगा | भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, चैत्र नवरात्रि एवं चैती छठ का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है |
गर्मी के मौसम शुरुआत के साथ ही चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है | यह चैत्र माह के शुक्ल पक्छ से प्रारंभ होकर रामनवी तक चलती है | भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, चैत्र नवरात्रि का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है |
चैत्र नवरात्रि कँहा मनाया जाता है?
चैत्र नवरात्रि भारत वर्ष का एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व है,जिसे पुरे भारत वर्ष में मनाया जाता है | कुछ राज्यों में जैसे बिहार ,उतर प्रदेश ,असम, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में बहुत उत्साह से मनाया जाता है | अन्य राज्यों में भी इसे मनाया जाता है | इसके आलावा चैत्र नवरात्रि अन्य देशों जैसे अमेरिका ,कनाडा,इंग्लैंड में भी मनाया जाता है |
चैत्र हिंदी कैलेंडर के अनुसार पहला महीना है | चैत्र नवरात्रि नए वर्ष के पहले दिन से शुरू होता है | इस दिन हिन्दू धर्म के अनुसार नए वर्ष के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है | गुजरात में नवरात्रि डांडिया और गरबा के रुप में पुरे उत्साह से मनाया जाता है |भारत के कई प्रदेश में नवरात्रि का पहला दिन ,नए वर्ष के पहले दिन के रूप में मनाया जाता है | महाराष्ट्र में यह ‘गुरु पर्व ‘के रूप में ,कश्मीर में ‘नवरेश ‘ के रूप में मनाया जाता है |
चैत्र नवरात्रि कई नाम
नवरात्रि के अन्य नाम : नराते ,नवरात इत्यादि हैं |
नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रातें | इन दिनों माँ दुर्गा शक्ति रुप के नौ रूपों में पूजा की जाती है एवं दसवां दिन दशहरा मनाया जाता है | चैत्र नवरात्रि में दसवां दिन रामनवमीं के रुप में मनाया जाता है | इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था | भगवान राम को , विष्णु भगवान का सातवें अवतार मन जाता है |
नवरात्रि वर्ष में चार बार में मनाया जाता है | एक नवरात्रि चैत्र में ,दूसरा पौष में ,तीसरा असाढ और चौथा माघ माह नवरात्रि में मनाया जाता है | असाढ और माघ माह में ‘गुप्त नवरात्रि मनाया जाता है | इसमें चैत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण पर्व है।
चैत्र नवरात्रि के पौराणिक कथा
भारत में हर त्योहार के पीछे कोई न कोई पुरानी कहानियां होती हैं | उसी के अनुसार भारत वर्ष में त्योहार मनाया जाता है | चैत्र नवरात्रि वैदिक युग से ही मनाया जाता है |
एक पौराणिक कथा चैत्र नवरात्रि के विषय में है की, भगवान राम ने चैत्र माह में माँ दुर्गा की उपासना कर शक्ति प्रताप किया और रावण पर विजय प्राप्त किया था ,इसी के उप्लक्छ में चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है | ऐसा विश्वास किया जाता है कि नवरात्रि के समय माँ पृथ्वी पर निवास करती हैं ,अपने भक्तों के बीच रहती हैं | इससे माँ जल्दी प्रसन्न होती हैं |
चैत्र नवरात्रि में भी शरद चैत्र नवरात्रि के तरह माँ भगवती माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना आराधना की जाती है |
पहला दिन माँ शैलपुत्री |
दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी
तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा
चौथा दिन माँ कुष्मांडा
पांचवा दिन माँ स्कंदमाता
छठा दिन माँ कात्यानी
सातवां दिन माँ कालरात्रि
आठवां दिन माँ महागौरी
नौवां दिन माँ सिद्धदात्री |
चैत्र नवरात्रि का महत्व
वैसे तो माँ की साधना किसी भी वक्त करने से माँ प्रसन्न होकर आशिर्बाद देती हैं | परन्तु माँ की साधना खास कर अष्ट्मी एवं नौवमीं को करने से माँ प्रसन्न होकर आशिर्बाद देती हैं | इन दिनों पूजा का ख़ास महत्ता है |अष्ट्मी एवं नौवमीं को कन्या पूजन जिसे कन्या भोज का बहुत महत्व है | बहुत जगह पर कन्या पूजन का आयोजन किया जाता है | इसमें नौ बाल कन्याओं (जो माँ के रूपों का दर्शाती हैं ) का पूजन किया जाता है |
नवरात्रि किस तरह मनाते हैं ?
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापित कर के पूजा शुरु किया जाता है ,बाद में माँ की मूर्ति स्थापित किया जाता है | कुछ लोग घर पर कलश स्थापित कर के पूजा शुरु करते है | पूजा पंडाल में माँ की मूर्ति स्थापित किया जाता है,छठा दिन भक्तों के लिए पंडाल खोला जाता है | भक्तों की भीड़ माँ के दर्शन के लिए उमड़ परती है | दसवें दिन मूर्ति को प्रवाहित किया जाता है |
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इन्हें भी देखें | https://knowledge-festival.blogspot.com/2021/10/maa-durga.html
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