इस लेख में हम महाकालेश्वर -महाकाल के धार्मिक यात्रा एवं मंदिर के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे | आने वाले पीढ़ी को भारतीय त्यौहार ,उतस्वों एवं पूजा स्थलों की जानकारी देना इस लेख का मुख्य
उद्देश्य है |
श्री महाकाल भगवान के दर्शन यात्रा धार्मिक

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प्रस्तावना :
कुछ दिनों से श्री महाकाल भगवान के दर्शन करने की इच्छा हो रही थी ,जो धीरे धीरे प्रवल हो रही थी | इसी बीच मेरे भतीजी का रिस्ता इंदौर में तय हुआ | १९ तारीख रविवार को रोका तय हुआ इसमें जाना था | इसे मैने श्री महाकाल भगवान के आदेश माना और उज्जैन में श्री महाकाल भगवान के दर्शन के लिए तैयार हो गया |
यात्रा की तैयारी
श्री महाकाल भगवान के दर्शन के लिए बहुत लोग जाते हैं | उज्जैन जाने के लिए गया से सीधा ट्रैन में सीट नहीं था ,तो हमने (मै एवं मेरी पत्नी )हवाई जहाज से जाना तय किया | ज्ञात हुआ इसमें टिकट है | १८ तारीख को गया से दिल्ली एवं दिल्ली से इंदौर का टिकट बुक कराया , होटल में एक रुम भी बुक कराया | जरूरी समान लिए और चल पड़े उज्जैन श्री महाकाल भगवान के दर्शन के लिए |
यात्रा
निर्धारित समय पर हमलोग इंदौर पहुंच कर होटल में गए | प्रातः काल के लिए एक कैब बुक कर लिए | नियत समय पर कैब आ गया | सुबह उठ कर जल्द तैयार होकर हमलोग दर्शन के लिए चल दिए | इंदौर से उज्जैन की दूरी लगभग साठ किलोमीटर है परन्तु सुबह के समय रास्ता में भीड़ नहीं रहने के कारण हम जल्द पहुंच गए | शीर्घ दर्शन के टिकट ले लिए ,जिसमे दर्शन में दिक्कत न हो |
दर्शन
मंदिर में भीड़ था ,हम लोग लाइन में लग गए और धीरे धीरे आगे बढे | जय महाकाल के उद्घोष से वातावरण उद्वेलित हो रहा था | दर्शन के अभिलासा से उत्साह एवं उमंग से कुछ दिक्कत पता नहीं चला | ऊर्जा का संचार हो रहा था | हम लोग प्रसाद ले लिए लाइन में धीरे धीरे आगे बढ़ कर दर्शन के स्थान पर पहुंच कर प्रसाद अर्पित किया | श्री महाकाल भगवान के दर्शन बहुत अच्छे तरह से हो गया | मैं आत्मविभोर हो गया | लगा जीवन सफल हो गया |
इसके बाद हम लोग धीरे धीरे मंदिर के गर्भ गृह से बहार आ गए | मंदिर परिसर में थोड़ा बैठ कर ,आराम करके मंदिर परिसर से बाहर आकर मंदिर से होटल के लिए रवाना हुए |
होटल पहुंच कर जलपान ग्रहण किया | इसके बाद पारिवारिक कार्यक्रम मे दिन भर भाग लेने के बाद दूसरे दिन २० तारीख को इंदौर से वापस गया आ गए |
उपसंहार
बारह प्रसिद्ध ज्योत्रिलिंग हैं ,जिसमे महाकालेश्वर महाकाल अद्भुत है | यह मान्यता है कि यह ज्योत्रिलिंग अपने आप उत्पन हुआ है( स्वम्भू ). | बारह प्रसिद्ध ज्योत्रिलिंग में सिर्फ यही स्वम्भू है |
इसका एक विशिस्ट बात है के मंदिर का मुख दक्छिन के तरफ है एवं ‘श्री रुद्र यंत्र ‘ मंदिर के गर्भ गृह के छत से उल्टा टंगा हुआ है |
महाकाल मंदिर की स्थापना कब हुई इसके विषय में सपस्ट जानकारी नही है | परन्तु इस मंदिर का जिक्र पुराणों में है | कहा जाता है की भगवान प्रजापति ब्रह्मा ने इसे अपने हाथों से बनाया |
उज्जैन में ईसा पूर्व तीसरे एवं चौथे शताब्दी के सिक्कों पर भगवान शिव की आकृति है | ईसा पूर्व छठे शताब्दी में राजकुमार ‘कुमारसेन’ को राजा चंदा प्रदयता ने उज्जैन में महाकाल के मंदिर के नियम एवं व्यवस्था देखने को भेजा था,इसका पक्का प्रमाण है |
कालिदास के महाकाव्य में इस मंदिर का जिक्र है |
महाकाल देव ने हमें बुलाया ,और दर्शन देकर जीवन सफल कर दिया | उनके मर्जी के विना पता भी नही हिलता है, इतना यात्रा उनके मर्जी से ही सफल हो सका |
जय महाकाल | जय जय महाकाल |
अस्वीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार विभिन्न लेखों]संचार माध्यमों से लिए गए है और सभी सूचनाएँ मूल रुप से प्रस्तुत की गईं है| व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार नहीं हैं तथा इसके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है| मानवीय भूल ,टंकण भूल भी हो सकता है इसके लिए लेखक किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है|

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