
प्रस्तावना:
इस लेख में हम बुद्ध पूर्णिमा व्रत के विषय में बहुत कुछ जानेंगे | बुद्ध पूर्णिमा व्रत कब मनाया जाता है,इसका महत्व एवं बहुत कुछ | आने वाले पीढ़ी को भारतीए त्योहारों एवं अपने उत्सवों के विषय में जानकारी देना इस लेख का उद्देश्य है |
मूल शब्द :
बुद्ध पूर्णिमा कब | २०२४ | भारतवर्ष | त्योहार | वैशाख माह
विषयसूची :
बुद्ध पूर्णिमा कब मनाया जाता है
बुद्ध पूर्णिमा कँहा मनाया जाता है
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
बुद्ध पूर्णिमा कई नाम
बुद्ध पूर्णिमा के पौराणिक कथा
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है | उसी दिन बुद्ध को बोधित्व ज्ञान प्राप्त हुआ था और उसी दिन महापरिनिर्वाण भी हुआ था |
बुद्ध पूर्णिमा कब मनाया जाता है |
भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं,बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है | बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार हर वर्ष वैशाख माह के पूर्णिमा को मनाया जाता है
इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 23 मई २०२4 को मनाया जाना है |
इसे बुद्ध जयंती, हनमतसूरी वेसाक भी कहते है इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था | ५६३ ईसा पूर्व वैशाख माह के पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य राज्य के राजधानी कपिलवस्तु के नजदीक लुंबिनी में हुआ था | शाक्य राज्य पहले भारतवर्ष का भाग था परन्तु अब नेपाल का भाग है | इनके पिता शाक्य राज्य के राजा शुद्दोधन और माता महरानी महामाया थीं | इनके जनम के लगभग एक सप्ताह बाद इनके माता जी का निधन हो जाने के बाद महरानी महामाया की छोटी सगी बहन और राजा शुद्दोधन की दूसरी रानी महाप्रजापति गौतमी ने इनका पालन पोषण किया था | इनका नाम राजकुमार सिद्धार्थ गौतम था | गौतम गोत्र में जन्म होने के कारण वे गौतम कहलाए | सिद्धार्थ का अर्थ है जो सिद्धि प्राप्त के लिए जन्मा हो | नामकरण समारोह में विद्वानों ने भबिष्यबाणि के थी की वे एक महान राजा या महान पवित्र आदमी बनेंगे | बुद्धत्व ज्ञान प्राप्ति के बाद इनका नाम गौतम बुद्ध हुआ |
सोलह वर्ष के उम्र में इनका विवाह यशोधरा के साथ हुआ जिनसे इनको एक पुत्र राहुल हुआ |इनका मन वैराग्य के और चला गया और २९ वर्ष के उम्र में अपनी पत्नी और नवजात पुत्र का छोड़ कर वे सत्य के खोज में वन के ओर चले गये | कई वर्षो तक सत्य के खोज में लगे रहे |
कई वर्षों के कठोर तपस्या के बाद बुद्ध पूर्णिमा के इसी दिन बिहार के बोधगया में एक पीपल वृछ के नीचे इन्हें बुद्धत्व ज्ञान प्राप्त हुआ | पीपल का वह वृछ बोधि वृछ के नाम से प्रसिद्ध हुआ जो आज भी बिहार के बोधगया में है और पूजा का एक महत्वपूर्ण स्थल है | बुद्धत्व ज्ञान प्राप्ति के बाद वे गौतम बुद्ध कहलाने लगे|
इसी दिन ४८३ ई ० पू ० वैशाख माह के पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण कुशी नगर में हुआ था | बुद्ध पूर्णिमा के दिन कुशी नगर में महापरिनिर्वाण विहार पर एक माह का मेला लगता है |
बुद्ध पूर्णिमा कँहा मनाया जाता है
विश्व में लगभग १९० करोड़ लोग बौद्ध धर्म को मानते है | हिन्दू गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु के नौवें अवतार मानते हैं अतः हिंदूओ का भी यह महत्वपूर्ण त्योहार हो जाता है |
बुद्ध पूर्णिमा पुरे भारतवर्ष में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | इसके आलावा नेपाल,चीन,श्रीलंका,वर्मा ,भूटान, जापान, सिंगापूर,थाईलैंड , इंडोनेशिया इत्यादि देशों में भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | विदेशों में रहने बाले भारतवासी अपने अपने देशों में धूम धाम से मनाते है | विश्व भर से लोग इस दिन बोधगया आते है और बोधि वृछ के पास प्राथना करते हैं बोधि वृछ की पूजा करते हैं | बोधि वृछ के पास दिप फूल सजाते हैं | चीवर दान करते हैं | बौद्ध धर्म ग्रंथों का पाठ करते हैं | बुद्ध की प्रतिमा पर फल फूल अर्पित करते हैं |
कई जगह पे बुद्ध संग्रालय है, जिसमे बुध साहित्य का संग्रह है | कई जगह बुध की अस्थि दर्शन के लिए रखा जाता है |
बुद्ध पूर्णिमा को भोजन वस्त्र इत्यादि दान दिया जाता है | इस दिन किए गए दान पुण्य का बहुत महत्वपूर्ण होता है |
इस दिन घर को फूलों से सजाया जाता है ,शाम को दीपक जला कर रौशन करते है |
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास
५६३ ईसा पूर्व वैशाख माह के पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्म, शाक्य राज्य के राजधानी कपिलवस्तु के नजदीक लुंबिनी में हुआ था | शाक्य राज्य पहले भारतवर्ष का भाग था | परन्तु अब नेपाल का भाग है |इनके पिता शाक्य राज्य के राजा शुद्दोधन और माता महरानी महामाया थीं | इनके जनम के लगभग एक सप्ताह बाद इनके माता जी का निधन हो जाने के बाद महरानी महामाया की छोटी सगी बहन और राजा शुद्दोधन की दूसरी रानी महाप्रजापति गौतमी ने इनका पालन पोषण किया था | इनका नाम राजकुमार सिद्धार्थ गौतम था | गौतम गोत्र में जन्म होने के कारण वे गौतम कहलाए | सिद्धार्थ का अर्थ है जो सिद्धि प्राप्त के लिए जन्मा हो | नामकरण समारोह में विद्वानों ने भबिष्यबाणि के थी की वे एक महान राजा या महान पवित्र आदमी बनेंगे | बुद्धत्व ज्ञान प्राप्ति के बाद इनका नाम गौतम बुद्ध हुआ |
सोलह वर्ष के उम्र में इनका विवाह यशोधरा के साथ हुआ जिनसे इनको एक पुत्र राहुल हुआ |बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है ,उसी दिन बुद्ध को बोधित्व ज्ञान प्राप्त हुआ था और उसी दिन महापरिनिर्वाण भी हुआ था |
बुद्ध पूर्णिमा के पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में गौतम बुद्ध के रूप में धरती पर ज्ञान एवं सत्य के प्रचार करने के लिए नौवमा अवतार लिया था | भगवान बुद्ध ने धरती पर न्याय , सत्य , सदभावना पर आधारित साम्राज्य की स्थापना में अपना योगदान दिया |
भगवान विष्णु के अन्य अवतार के विषय में यहां पढ़ें |
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
बुद्ध के ऊपर कई ग्रन्थ अनेकों भाषा में लिखे गए हैं | बुद्ध साहित्य ,बुद्ध के उपदेश बहुत ही पवित्र ग्रन्थ है | बुद्ध भारतवर्ष एवं अन्य कई देशों के जन- जन, कन -कन में रचे बसें हैं | हर वर्ष बुद्ध पूर्णिमा में बुद्ध पर आधारित व्याख्यान का आयोजन कई जगहों में किया जाता है ,जिससे बुद्ध के विचार का ज्ञान प्राप्त होता है और प्रसार होता है |भगवान बुद्ध के बिना भारतवर्ष की कल्पना नहीं की जा सकती है| बुद्ध हर नागरिक के लिए एक आदर्श हैं |
इन्हें भी देखें :
https://knowledge-festival.blogspot.com/2022/05/janki-navami.html
https://knowledge-festival.blogspot.com/2022/04/2022-hanuman-janmotsav-2022.html
आंतरिक कड़ी : Internal Links :https://knowledge-festival.blogspot.com/2022/04/ram-navmi-2022-date-hindi.html