

रामनवमी २०२4 तारीख|RamNavmi|Hindi
आज के व्यस्त जीवन में हम लोग अपने व्रत त्यौहार को लगभग भुला गए हैं | यह लेख खास कर युवा में अपने व्रत त्यौहार के प्रति जागरूकता लाने के लिये है | इस आलेख को पढ़ने के बाद अपने त्यौहार , महापुरूषो के प्रति जानकारी प्राप्त करने का रुचि विकसित होगा | इस लेख का यही उद्देश है इस लेख में हम लोग रामनवमी के त्योहार के विषय में आवश्यक जानकारी प्राप्त करेंगे | इसके विषय की जानकारी रहने पर हम लोग अपने जीवन एवं अन्य लोगों के जीवन में सुधार ला सकते है| अतः इस के विषय में जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है |
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राम पूजन|रामलला|अयोध्या|रामलीला | रामनवमी के पौराणिक कथा | इतिहास |जुलूस |चैत्र|त्योहार
Table of contents
रामनवमी कब मनाया जाता है?
भारतवर्ष में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं, रामनवमी का त्योहार उनमें बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है | रामनवमी का त्योहार हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्छ के नवमीं दिवस को मनाया जाता है | इस वर्ष ,१७ अप्रैल २०२४ को रामनवमी मनाया जायेगा|

श्री राम
हर वर्ष राम नवमी का त्यौहार चैत्र महीनेके शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चैत्र महीनेके शुक्ल पक्ष की नवमी को प्रभुश्री रामचंद्र जी का जन्म हुआ था | रामनवमी चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिवस के रूप में मनाया जाता है | इस वर्ष २०२4 में चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल २०२४ से आरंभ हो कर लगातार १७ अप्रैल २०२४ तक है | गर्मी के मौसम शुरुआत के साथ ही चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है | यह चैत्र माह के शुक्ल पक्छ से प्रारंभ होकर रामनवी तक चलती है |
रामनवमी कँहा मनाया जाता है ?
रामनवमी पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है | इसके आलावा नेपाल वर्मा भूटान इत्यादि देशों में भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है | विदेशों में रहने बाले भारतवासी अपने देशों में धूम धाम से रामनवमी मनाते है |
इस वर्ष २२ जनवरी को अयोध्या में राम लला के भवय मंदिर का निर्माण संपूर्ण हुआ एवं राम बाल लला की प्राणप्रतिस्ठा की गई | इस साल अयोध्या में रामनवमी पूजा भवय रूप में आयोजित होगी | सरयू तट पर बसे अयोध्या नगरी में रामनवमी पूजा भवय रूप में आयोजित होगी ही सरयू तट एवं नदी में आरती का भव्य आयोजन होगा | इसके अलावा पुरे विश्व में इसे बड़े उत्साह से मनाया जायेगा |

रामनवमी का इतिहास
रामनवमी श्री राम के जनम दिवस के रूप में पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है | पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्छ के नवमीं दिवस को पुनवर्सु नछत्र एवं कर्क लगन में हुआ था | उनके पिता का नाम राजा दशरथ एवं माता का नाम कौशल्या था | राजा दशरथ अयोध्या के राजा थे | इतिहासिक प्रमाण के अनुसार श्री राम का जन्म ७३२३ ईसा पूर्ब भारतवर्ष के अयोध्या में हुआ था |
पौराणिक मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में धरती पर असुरों के अत्याचार का नाश करने के लिए सातवाँ अवतार लिया था | भगवान श्री राम ने धरती पर असुरो का नाश कर उनके अत्याचार को खत्म कर के न्याय, सत्य , सदभावना पर आधारित साम्राज्य की स्थापना की | यह साम्राज्य राम राज के नाम से जाना जाने लगा |ऐसे साम्राज्य की स्थापना हर सरकार करना चाहती है |
भगवान श्री राम के पास असीम शक्ति थी परन्तु उन्होंने एक साधारण व्यक्ति के तरह जीवन जी कर एक आदर्श स्थापित कर दिया | उनके तरह हम लोगो को आचरण करना चाहिए | उन्होंने न्याय, सत्य , सदभावना पर आधारित साम्राज्य की स्थापना की जो आज भी प्रासंगिक है | ऐसे साम्राज्य की स्थापना हर सरकार करना चाहती है |
भगवान श्री राम के साथ साथ माँ सीता ,भ्राता लक्ष्मण एवं परम भक्त श्री हनुमान की भी पूजा होती है |
भगवान विष्णु के अन्य अवतार के विषय में यहां पढ़ें | https://learn-and-fly.co.in/2023/03/16/%e0%a4%ad%e0%a4%97%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%a8-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a5%81-%e0%a4%95%e0%a5%87/
रामनवमी का महत्व
श्री राम के ऊपर कई ग्रन्थ अनेकों भाषा में लिखे गए हैं | जिसमें रामयण हिन्दुओ का एक बहुत ही पवित्र ग्रन्थ है | राम भारतवर्ष के जन- जन, कन -कन में रचे बसें हैं | हर वर्ष रामनवमी में रामयण पर आधारित रामलीला का आयोजन कई गावों में किया जाता है जिससे मनोरंजन के साथ साथ ज्ञान भी प्राप्त होता है | राम के बिना भारतवर्ष की कल्पना नहीं की जा सकती है |
सामाजिक एवं व्यपारिक महत्व
रामनवमी में बाहर रहने वाले लोग ,बाहर काम करने वाले अपने घर वापस आते हैं ,पुरे परिवार के साथ रामनवमी मना कर वापस लौटते है | इससे संबंध मजबूत होते है |
रामनवमी में नए वस्त्र पहनने का रिवाज़ है | इससे कपड़े का बाजार में काफी चहल पहल रहती है |
भारतवर्ष में त्योहार में स्वादिस्ट पकवान बनाने खाने खिलाने का परंपरा है | रामनवमी में अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाने का रिवाज़ है | रामनवमी में भी खाने ,पीने और मिष्ठान की काफी बिक्री होती है | इससे व्यापार जगत में काफी मुनाफा होता है |
रामनवमी का जुलूस
कई जगहो पर रामनवमी का जुलूस निकला जाता है |जो शान्ति से कई जगहों से होता हुआ मंदिर पे समाप्त होता है | राम मर्यादा पुरुषोतम कहलाते हैं | रामनवमी मानाने का संदेश है कि श्री राम के चरित्र का अनुकरण कर उनके जैसा बनने के लिए हमें प्रयास करना है |
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