मकर संक्रांति 2024 कब | महत्व

परिचय : भारतवर्ष पर्वो का देश हैं | कुछ बहुत ही  महत्वपूर्ण  होते  हैं | आज के व्यस्त जीवन में युवा पीढ़ी पर्वो के महत्व को भूलते जा रहें है | हर पर्व का महत्व  होता है ,इसके विशेष जागरूकता के लिए इस लेख को पढ़ना जरुरी है | 

  KEYWORD : मकर संक्रांति | कब | क्यू | कैसे | संक्रांति

TABLE OF CONTENT :

१.  मकर संक्रांति पर्व क्या है | 

२. 2024 |मकर संक्रांति कब है |  

३ .  मकर संक्रांति का  महत्व| 

४. 2024 |मकर संक्रांति  क्यू | 

५. 2024|मकर संक्रांति कैसे | 

मकर संक्रांति पर्व क्या है : मकर संक्रांति भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण पर्व है इस दिन तिल गुड़ की बनी मिठाई खाने और बाटने का रिवाज़ है | देश के अलग अलग भाग में इसे अलग अलग नाम से जाना जाता है | इसे तिल संक्रांति ,उत्तरायण और खिचड़ी भी कहा जाता है | मकर संक्रांति पर्व नेपाल में भी मनाया जाता है |

 

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                             मकर संक्रांति कब मनाया जाता है ?

कई  हिन्दू पर्व की तरह ही मकर संक्रांति को मनाने की तारीख में भी संसय हो जाता है | परन्तु हर साल की तरह  जनता इस साल भी १ ४ जनवरी दिन को मनाने का मन बना रखा है | हालाँकि मिथला एवं कांशी पंचांग के अनुसार १५ जनवरी को मकर संक्रांति मनाने को कहा गया है | १५ जनवरी को सुबह आठ बजकर तीस मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेगा ,अतः १५ जनबरी को मनाया जाएगा | हिन्दू मास के पौष माह की शुक्ल पच्छ  की द्वादशीं  को  मनाया जाना है  |

पुण्य काल मुहुर्त पंद्रह जनवरी सुबह  ०८ बजकर ४३ मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे | तब से शाम ५।होगा और इसका समापन  शाम पांच बजकर ४३ मिनट तक पुण्यकाल होगा | 

        मकर संक्रांति का महत्व 

ज्योतिष गणना के अनुसार हर वर्ष बारह संक्रांतिया  होती है | इसमें मकर संक्रांति का खास महत्व है | इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है और उत्तरायण  होना  शुरु हो जाते है | इसी कारण मकर संक्रांति को उत्तरायण  भी कहा जाता है | इस दिन से दिन धीरे धीरे  बढने लगता है और रात छोटी होने लगती है | कहावत है की इस दिन से दिन तिल तिल कर बढने लगता है| इसी कारण मकर संक्रांति के दिन तिल दान करने का खास महत्व है | मकर संक्रांति से ही ऋतु बदलने लगता है | शरद ऋतु  का अंत होने लगता है और वसंत ऋतु  प्रांरभ होने लगता है,मौसम गर्म होने लगता है | 

सूर्य हर प्रकार से जीवन को प्रभावित करते हैं | इनके बिना जीवन हो ही नहीं सकता है |  सूर्य परिवार के पिता समान हैं | इनसे  हमारा बहुत गहरा सम्बन्ध है | अतः इस दिन सूर्य की उपासना किया जाता है | 

सूर्य  भगवान के  पुत्र  हैं शनि देव | वे तपस्या ,त्याग,एवं वीतराग के रुप हैं | वे सन्यासी हैं ,सत्य के प्रति समर्पित हैं | धर्म एवं अध्यात्म के लिए शनि देव बहुत जरुरी हैं | अतः इस दिन सूर्य की उपासना के साथ साथ शनी देव की पूजा अर्चना की जाती है ,और दान किया जाता है | 

जिस तरह से ऋतु बदलता है,उसी तरह हमें भी बदलना चाहिए | संक्रांति का शाब्दिक अर्थ  ही है ,बदलाव | इस संक्रांति से हमें भी बदलना चाहिए सर्वश्रेस्ठ गुणों को  अपना कर | 

                             मकर संक्रांति क्यू मनाया जाता है ? 

मकर संक्रांति का खास पौराणिक महत्व है |

एक पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन सूर्य  भगवान अपने पुत्र शनि देव के घर जाते है |  शनि देव को मकर  एवं कुम्भ का स्वामी माना जाता है | पिता पुत्र  के इस अनोखे मिलान के याद मे यह पर्व मनाया जाता है | हिन्दू मास के पौष माह की शुक्ल पच्छ  की द्वादशीं  को  मनाया जाना है  |

एक अन्य कथा के अनुसार इसी दिन विष्णु   भगवान ने पृथ्वी पर असुरो का संहार किया  था तभी से इस जीत कि खुसी मे मकर संक्रांति  पर्व मनाया जाता है | 

एक अन्य विचार के अनुसार देश के कई भागों मे नई फसल कट जाता है | नई फसल का चूड़ा एवं अन्य पकवान खाया जाता है और  भगवान का  आभार प्रकट किया जाता है | 

                              मकर संक्रांति कैसे मनाया  जाता है ?

इस दिन सूर्य भगवान एवं उनके  पुत्र शनि देव के उपासना का विशेष महत्व है | सूर्य भगवान ग्रहों के राजा है ,उनको प्रसन्न  करने के  लिए तिल  एवं अन्य सामाग्री दान करने का खास महत्व है | सूर्य भगवान प्रसन्न  होने पर सुख, शांति शक्ति धन एवं  यश प्रदान करते है | 

शनि देव की उपासना प्रकाश दान करके किया जाता है | 

मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का भी प्रचलन है | 

कोई भी पर्व स्वादिस्ट भोजन के बिना पुरा नहीं होता है ,तो इस पर्व मे भी  कई तरह के स्वादिस्ट पकवान बनाने एवं खाने का प्रचलन है | इस दिन खास कर खिचड़ी खाने का प्रचलन है | 

इतनी जानकारी होने के बाद आइए हम मकर संक्रांति पर्व  को कोविड १ ९ के रोक थाम के मानको का अनुपालन  करते हुए स्वादिस्ट पकवान के साथ मनाएं | 

                                                       चुरा ,दही ,तिलकुट ,गुड़ एवम सब्जी 

                                       शुभ मकर संक्रांति  

                Photo by author

अस्वीकरण   इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार विभिन्न लेखों]संचार माध्यमों से लिए गए है और सभी सूचनाएँ मूल रुप से प्रस्तुत की गईं है, व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार नहीं हैं तथा इसके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है| मानवीय भूल ,टंकण भूल भी हो सकता है इसके लिए लेखक किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है|

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